भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शुक्रवार को छोटे सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) की अपनी तीसरी विकास उड़ान को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। यह छोटे तीन-स्तरीय रॉकेट — जिसका व्यास केवल दो मीटर है और वजन 120 टन है — 500 किलोग्राम तक के सैटेलाइट्स को लॉ लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में स्थापित करने की क्षमता रखता है (पृथ्वी से 500 किलोमीटर तक)।

ISRO SSLV
ISRO SSLV

ISRO की SSLV-D3 लॉन्च की महत्वपूर्ण बातें

विशेषताविवरण
रॉकेट की लंबाई34 मीटर
व्यास2 मीटर
वजन120 टन
लक्ष्य सैटेलाइट वजन500 किलोग्राम तक
लॉन्च समय9:17 AM (शुक्रवार) 16th August 2024
लॉन्च स्थलसतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश
ISRO की SSLV-D3 लॉन्च की महत्वपूर्ण बातें

इस लॉन्च के साथ, ISRO ने SSLV-D3 के साथ SSLV विकास परियोजना को पूरा कर लिया है। SSLV-D3 ने EOS-08 सैटेलाइट को सटीकता से ऑर्बिट में स्थापित किया है।

SSLV-D3 की विशेषताएँ और लाभ

  • SSLV-D3: यह छोटा रॉकेट 34 मीटर लंबा और 2 मीटर व्यास का है, जिसका वजन 120 टन है। यह 500 किलोग्राम तक के सैटेलाइट्स को 500 किलोमीटर की ऊँचाई पर स्थापित कर सकता है।
  • वाणिज्यिकरण की दिशा में: SSLV को ISRO ने वाणिज्यिक दृष्टिकोण से विकसित किया है और इसका निर्माण सात साल से अधिक समय में किया गया है। इसकी लागत 170 करोड़ रुपये से अधिक रही है।
  • प्रौद्योगिकी परीक्षण: इस लॉन्च में 21 नई तकनीकों का परीक्षण किया गया है। EOS-08 सैटेलाइट में कई नई और नवीन तकनीकें शामिल हैं, जो ISRO और भारत के सपनों को साकार करने में सहायक होंगी।

SSLV के लाभ

  • त्वरित लॉन्च: SSLV को जल्दी लॉन्च किया जा सकता है, जिससे ISRO छोटे सैटेलाइट लॉन्च सेवाओं के बढ़ते बाजार को प्रभावी ढंग से सेवा प्रदान कर सकता है।
  • लागत-प्रभावी: प्रत्येक SSLV लॉन्च की लागत लगभग 30-35 करोड़ रुपये है, जो इसे अपने वर्ग में सबसे सस्ता रॉकेट बनाता है।
  • फ्लेक्सिबिलिटी और कम अवसंरचना की आवश्यकता: SSLV जल्दी तैयार हो सकता है और इसे लॉन्च पैड पर बहुत कम समय की आवश्यकता होती है, जिससे एक दिन के भीतर लॉन्च संभव होता है।

EOS-08 और इसके उन्नत पेलोड्स

EOS-08 सैटेलाइट का उद्देश्य पर्यावरणीय निगरानी, प्राकृतिक आपदाओं के प्रबंधन में सहायता और गगनयान मिशन की सहायता करना है। इसमें इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इन्फ्रारेड पेलोड (EOIR) शामिल है जो दिन और रात के समय मध्य-वेव और लंबी-वेव इन्फ्रारेड चित्र ले सकता है।

पिछले SSLV विकास उड़ानें

  • 1st SSLV (August 7, 2022): Microsat 2A और AzaadiSAT सैटेलाइट्स को लॉन्च किया गया, लेकिन एक सेंसर विफलता के कारण सैटेलाइट्स अपने निर्धारित ऑर्बिट में स्थापित नहीं हो सके।
  • 2nd SSLV (February 10, 2023): EOS-07, Janus-1, और AzaadiSAT-2 सैटेलाइट्स को 450 किलोमीटर की ऊँचाई पर सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।

इस प्रकार, ISRO की SSLV-D3 की सफलता न केवल भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, बल्कि छोटे सैटेलाइट लॉन्च के लिए एक नया मानक स्थापित करती है।

Categorized in:

Daily News, Business,

Last Update: August 17, 2024